दिलीप रांजेकर सीईओ, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन
…..बाल-सभा (बच्चों की संसद) के ढांचे, परिकल्पना और कामकाज…..शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सिद्धांतत: यह माना कि बच्चों को किसी भी तरह से डराना-धमकाना सिखाने की प्रक्रिया के लिए नुकसानदेह…..यह मत कि बच्चों के लिए सजा जरूरी है, सिर्फ शिक्षक-शिक्षिकाओं के बीच नहीं, बल्कि अभिभावकोंसमेत पूरे समाज में गहरी जड़ें जमाए हुए है…..यह कैसा स्कूल है, जो बच्चों को मारता-पीटता नहीं है?…..वजह, ताकत के प्रति हमारा यह नजरिया है कियह एक ऐसी चीज है, जिसका इस्तेमाल किसी कमजोर व्यक्ति को दबाने और अपनी आज्ञा मनवाने….
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